अपनी जड़ों की ओर लौटे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, कहा पिता और दादा भी रहे हैं किसान
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इन दिनों नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपनी जड़ों की ओर लौट चले हैं, और देखा जाए तो इंसान के लिए इससे ज़्यादा खुश करने वाला पल और कोई नहीं होता की तमाम शोहरतों के बाद इंसान अपनी जड़ों में लौट सके, उससे जुड़ कर जी सके। जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ था, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव बुढ़ाना में खेती कर के अपना समय काट रहे हैं।
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नवाज़ कहते हैं, “मुझे जब भी वक़्त मिलता था, मैं बुढ़ाना आकर खेती की प्रैक्टिस करता था, मगर इतना वक़्त कभी नहीं मिल पाया। लॉकडाउन के चलते मुझे इतना वक़्त मिल रहा है कि मैं लगातार खेती कर पा रहा हूँ। इस समय को मैं मुम्बई से दूर एक किसान की तरह जी कर गुज़ार रहा हूँ और बहुत खुश हूँ।” आगे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी कहते हैं “ज़िन्दगी में मुझे इतनी खुशी कभी नहीं हो सकती, जितनी अपनी जड़ों से जुड़े रह कर हो रही है। खेती करना मुझे लगातार काम करते रहने का और कुछ नया होते रहने का एहसास दिलाता है, मेरे पिता और दादा जी भी किसान थे, मैं अपनी जड़ों से दूर भाग गया था लेकिन अब वापस लौट कर बहुत अच्छा लग रहा है।”
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फ़िल्मों के बारे में पूछे जाने पर नवाज़ कहते हैं, “अभी मेरी कुछ फिल्मों के सिलसिले में बात चल रही है, मैं वापसी ऐसी फिल्मों से करना चाहता हूँ जो मुझे मेरे अब तक के फिल्मी करियर से और ऊपर उठाने में मदद कर सकें।”
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लॉकडाउन के बारे में बताते हुए नवाज़ बताते हैं, “मैंने इस समय में बहुत सारी इंटरनेशनल सिनेमा की फिल्में देखीं हैं, और यकीन मानिए उनका काम देखने के बाद मुझे लगता है, एक अभिनेता और एक फ़िल्म इंडस्ट्री के तौर पर अभी हमें बहुत काम करना बाकी है।”