बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर के निधन की सबसे पहली सूचना अमिताभ बच्चन ने दी। उन्होंने ट्वीट किया – ऋषि कपूर नहीं रहे। उनका देहांत हो गया। मैं टूट गया। आज भले अमिताभ बच्चन ने ऋषि कपूर के जाने के बाद इतना भावुक और दुखी कर देनेवाला ट्वीट किया हो पर एक समय ऐसा भी था जब दोनों एक दूसरे को देखना नहीं चाहते थे। दो-तीन साल तक दोनों ने एक दूसरे से बात नहीं की थी।

दरसल बात ये है कि ऋषि कपूर चले गये लेकिन उन्हें अपने इस सवाल का जवाब नहीं मिला। हालांकि उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफ ‘खुल्लम खुल्ला : ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ में दोनों के तनाव का खुलकर जिक्र किया है। ऋषि कपूर ने कहा है कि पता नहीं उन्हें अमिताभ को लेकर क्या खुन्नस थी। 10 साल छोटे होने के बावजूद उन्होंने उनके साथ की गई पहली फिल्म में भी अमित जी कहकर संबोधित नहीं किया, बल्कि अमिताभ ही बोलता था। ‘कभी-कभी’ की शूटिंग के वक्त तो न मैं उनसे बात करता था और न ही वे। कभी-कभी के दौरान रिलेशन में गर्मजोशी न होने की एक और कहानी है। अमिताभ फिल्म में सीरियस रोल में थे। जबकि मेरा रोल थोड़ा उलट था। फिल्म में मैं खिलंदड़ा किस्म का हूं। अमिताभ रोल में गंभीरता बनाये रखने के लिये सेट पर अलग-थलग रहते थे। उन्होंने कहा कि अब सोचकर ही हंसी आती है कि शायद मैं बेवकूफ था।

ऋषि कपूर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में अमिताभ बच्चन और उनके रिश्ते को लेकर भी कई चौंकानेवाले खुलासे कीये हैं किताब में उन्होने लिखा है कि अमिताभ और मेरे बीच एक अनकहा तनाव रहा करता था। हमने कभी उसे सुलझाने की कोशिश नहीं की लेकिन वह तनाव अपने आप खत्म भी हो गया।

उसके बाद हमने कई फिल्में की। ‘अमर अकबर एंथनी’ के बाद तो हमदोनों में गहरी दोस्ती हो गई. ऋषि ने ‘किताब में ये भी लिखा है कि मुझे एेसा लगता है कि मुझे बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलने से अमिताभ निराश हो गये थे। उन्हें लगा था कि ये अवॉर्ड ‘जंजीर’ के लिए जरूर मिलेगा। दोनों ही फिल्में एक ही साल (1973) में रिलीज हुई थीं। मुझे ये कहते हुए शर्म आती है कि मैंने वह अवॉर्ड खरीदा था।

दरअसल उस वक्त मैं सीधा था मुझे इतनी समझ नहीं थी। तारकनाथ गांधी नामक एक पीआरओ ने मुझसे कहा, सर 30 हजार दे दो, तो मैं आपको अवॉर्ड दिलवा दूंगा। मैंने बिना कुछ सोचे उन्हें पैसे दे दिए। मेरे सेक्रेटरी घनश्याम ने भी कहा था, सर, पैसे दे देते हैं अवॉर्ड मिल जायेगा। अमिताभ को बाद में किसी से पता चला कि मैंने अवॉर्ड के लिए पैसे दिये थे। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि 1974 में मैं सिर्फ 22 साल का था। पैसा कहां खर्च करना है, कहां नहीं, इसकी ज्यादा समझ भी नहीं थी। बाद में मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया और हमारे रिश्ते बेहद अच्छे हो गये। अब तो उनसे फैमिली रिलेशनशिप है। उनकी बेटी श्वेता की शादी मेरी बहन रितु नंदा के बेटे निखिल से हुई है।

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