पति-पत्नी के बीच बहस होना बहुत सामान्य बात है लेकिन यही बहस चिंता का विषय तब बन जाती है जब यह सिलसिला बन जाती है. आए दिन होने वाली बहस रिश्ते में प्यार को तो कम करती ही है साथ ही दोनों के बीच नकारात्मक भावों को बढ़ा देती है. बहस के पीछे वैसे तो कई सारे कारण होते हैं जैसे दो लोगों की किसी एक विषय पर राय नहीं मिलती है तब भी बहस शुरू हो जाती है लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि रिश्ते में इस बहस को दरकिनार कर किस तरह से रिश्ते को हमेशा के लिए स्वस्थ रखा जाए. जानिए पति-पत्नी के बीच होने वाली बहस के मुख्य कारण और उन्हें डील करने के उपाय.

अस्वीकार करना

पति और पत्नी में दोनों में ही जब किसी एक की बात को भी अस्वीकार किया जाता है तो यह दूसरे को बर्दाश्त नहीं होता इसलिए बहस की स्थिति निर्मित होती है इसलिए याद रखें कि यदि इस बहस को टालना है तो सामने वाला जो भी कह रहा है उसकी बात को ध्यान से सुनें और न पसंद आने पर अस्वीकार करने की बजाय अच्छे तरीके से अपनी बात को रखें या कुछ समय बाद अपनी राय बताएं.

दोष देना

कोई भी पति या पत्नी नहीं चाहते कि वे एकदूसरे के दोषी बनें लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब आपका कोई काम नहीं बन पाता है तो हताशा में आप उसका दोषारोपण अपने जीवनसाथी पर कर देते हैं जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि ऐसा करने से आप दोनों के बीच बहस होने लगेगी क्योंकि कोई भी व्यक्ति बेवजह तो दोषी नहीं ही बनना पसंद करेगा.

शिकायत करना

यदि पति-पत्नी के रिश्ते में आए दिन दोनों को एकदूसरे से शिकायतें ही रहती हैं तब भी बहस होती रहेगी क्योंकि कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहेगा कि हर वक्त वो नाकामयाब ही हो. ऐसा होने पर वो खुद के साथ शिकायत करने वाले व्यक्ति पर भी सवाल उठाने लगेगा इसलिए बेहतर है कि कई बार आप शिकायतों को नजरअंदाज कर एकदूसरे की अच्छाईयों और कोशिशों पर भी ध्यान

उम्मीद करना

कई बार पति-पत्नी के बीच बहस इसलिए भी होती है क्योंकि वे एक-दूसरों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं. उम्मीदें यदि दोतरफा होती हैं तो वे किसी को तकलीफ नहीं देती हैं लेकिन एकतरफा उम्मीदें रिश्ते में नाराजगी, तनाव, लड़ाई आदि को जगह देती हैं इसलिए यदि आप उम्मीद रखते भी हैं तो पहले ही हमसफर को उस विषय में अच्छे से बताएं ताकि वो उनके विषय में सोच सकें.

 

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