बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर की आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ करीब तीन साल पहले प्रकाशित हुई थी. इसमें ऋषि कपूर ने जो कुछ लिखा, उसमें कुछ बातों को लेकर उनकी आलोचना और विवाद भी हुआ. इसी में वो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से उनकी दो बार हुई मुलाकात का जिक्र भी है
आपको बता दें कि दाऊद इब्राहिम मुंबई में अपराध की दुनिया में बड़ा नाम था. फिल्म इंडस्ट्री दाऊद इब्राहिम से थर्राती थी. दाऊद पर बनाई गई फिल्म “डी-डे” में ऋषि ने खुद उसका रोल किया था. ऋषि ने अपनी किताब में लिखा है कि वो दो बार कैसे डॉन से मिले. पहली बार वो 1988 में मिले. तब डॉन दुबई जा चुका था. ऋषि दुबई गए हुए थे. आशा भोंसले और आरडी बर्मन नाइट में हिस्सा लेने वो अपने दोस्त के साथ गए थे. दुबई एयरपोर्ट पर उन्होंने दाऊद के लोगों ने देख लिया. दरअसल एयरपोर्ट पर दाऊद के आदमी भारत से आने वाले वीआईपी पर नजर रखे हुए थे. जैसे दाऊद के आदमी की निगाह उन पर गई. उसने उसे फोन किया. इसके बाद वो ऋषि के पास दौड़ता हुआ आया. उनसे कहा कि दाऊद साब बात करेंगे. तब दाऊद ने उन्हें अपने घर पर आमंत्रित किया और इसके बाद दाऊद ने उन्हें और उनके दोस्त को रोल्स रॉयस कार में लेने के लिए भेजा. कार उन्हें इस तरह घुमाती हुई लेकर गई ताकि दाऊद के घर के डायरेक्शन के बारे में अंदाज नहीं लगा सकें. जब ऋषि कपूर और उनका दोस्त दाऊद के घर तो दाऊद ने उन्हें चाय और बिस्किट ऑफर किया और बातचीत के दौरान दाऊद ने उनके सामने मुंबई के कुछ अपराध और अदालत में किए मर्डर का खुलासा किया. ऋषि कपूर ने किताब में यह भी लिखा है कि “जब वो लोग वहां से चलने लगे तो दाऊद ने उनसे कहा, अगर आपको किसी भी चीज की जरूरत हो-चाहे पैसा या कुछ भी, तो बेहिचक मुझसे बताइए. हालांकि मैने इससे मना कर दिया.”
ऋषि कपूर की दूसरी बार मुलाकात दाऊद से कैसे हुई. उसके बारे में भी उन्होंने “खुल्लमखुल्ला” में जिक्र किया. ये 1989 का बरस था. जब ऋषि कपूर अपनी बीवी नीतू के साथ दुबई में शॉपिंग कर रहे थे. एक लेबनीज स्टोर में वो जूते खरीदने गए. जहां दाऊद भी मौजूद था. उसके साथ आठ बॉडीगार्ड्स थे. हाथ में मोबाइल फोन था. इस बार भी दाऊद ने उन्हे कुछ भी खरीदकर देने का ऑफर किया लेकिन उन्होंने फिर मना कर दिया. उसके बाद दाऊद ने ऋषि को एक मोबाइल नंबर दिया लेकिन ऋषि उसे अपना मोबाइल नंबर नहीं दे सके, क्योंकि तब तक भारत में मोबाइल फोन नहीं आए थे.
ऋषि ने आत्मकथा में लिखा, “वो मेरे लिए हमेशा बेहतर रहा और हमेशा बहुत गर्मजोशी दिखाई लेकिन साथ ही ये लिखा कि मैं दाऊद को लेकर काफी कंफ्यूजन में उसके भारत के प्रति दृष्टिकोण को लेकर था. इसके बाद सबकुछ बदलने लगा था. मुझे नहीं मालूम कि उसे कितने देश से भागने दिया था. इसके बाद मेरी ना तो कभी उससे मुलाकात हुई और ना बात.”
आपको बता दें कि ऋषि कपूर की आत्मकथा ‘खुल्लम खुल्ला’ के प्रकाशित होने के बाद ऋषि कपूर से दाऊद की मुलाकात के अंश पर विवाद भी हुआ था. उनसे पूछा गया कि जब वो दाऊद से मिले थे तो इतने दिनों तक चुप क्यों थे. उन्होंने इस बारे में पुलिस या एजेंसियों को क्यों नहीं बताया.